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उप॑ मा म॒तिर॑स्थित वा॒श्रा पु॒त्रमि॑व प्रि॒यम् । कु॒वित्सोम॒स्यापा॒मिति॑ ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

upa mā matir asthita vāśrā putram iva priyam | kuvit somasyāpām iti ||

पद पाठ

उप॑ । मा । म॒तिः । अ॒स्थि॒त॒ । वा॒श्रा । पु॒त्रम्ऽइ॑व । प्रि॒यम् । कु॒वित् । सोम॑स्य । अपा॑म् । इति॑ ॥ १०.११९.४

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:119» मन्त्र:4 | अष्टक:8» अध्याय:6» वर्ग:26» मन्त्र:4 | मण्डल:10» अनुवाक:10» मन्त्र:4


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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (मा) मुझे (मतिः) मानसिक शक्ति या बुद्धि (उप-अस्थित) उपस्थित हो गयी मन्त्रकरण-मनन के लिये (वाश्रा) कामना-करती हुयी माता (प्रियं पुत्रम्-इव) प्रिय पुत्र-को जैसे उपस्थित हो जाती है, क्योंकि मैंने परमात्मा के आनन्दरस का बहुत पान किया ॥४॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा के आनन्दरस का बहुत पान करनेवाले की मानसिक शक्ति या बुद्धि उसको ऐसे सङ्गत हो जाती है, जैसे प्रिय पुत्र को चाहती हुयी माता सङ्गत होती है ॥४॥
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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (मा मतिः-उप-अस्थित) मां मतिरुपतिष्ठते मन्त्रकरणाय मननाय (वाश्रा-प्रियं पुत्रम्-इव) कामयमाना माता प्रियं पुत्रमुपतिष्ठते तद्वत् (कुवित्०) पूर्ववत् ॥४॥